शनिवार, 12 अप्रैल 2014

मयंक कवि विरचित मोदी चालीसा



श्री गणेश का नाम ले, धर शारद के पाँव |
राजनीति की धूप में, मोदी तरु की छाँव ||
अटल, सत्य संकल्प है, सदा नमो के पास |
उद्यत करने को हुये, हर संकट का नाश ||
भीतर, बाहर सभी विरोधी | जनता कहती मोदी मोदी ||१||
बसपा, सपा असुर हैं भारी | कांग्रेस टोटल अत्याचारी ||२||
तुष्टिकरण, अनुचित आरक्षण | लोकतंत्र का करते भक्षण ||३||
कलि के कुटिल नराधम पापी | झाडू ले फिरते आआपी ||४||
कमल चिन्ह का बजा है डंका | मोदी भारत विमल मयंका ||५||
सुखी होय जग, खिले सरोजा | मोदी मोदी कहे मनोजा ||६||
राष्ट्र, धर्म, संस्कृति के साधक | जगदम्बा के श्रेष्ठ अराधक ||७||
नौ दिन निराहार व्रत रहते | भारत, भारत, भारत कहते ||८||
वन्देमातरम के अनुरागी | द्वेष, दम्भ, छल, छिद्र विरागी ||९||
अदना चाय बेचने वाला | संघर्षों ने जिसको पाला ||१०||
अब कहती है दुनिया सारी | राजनीति में यह अवतारी ||११||
खेले भारत माँ की गोदी | हर हर मोदी, घर घर मोदी ||१२||
आतंकी इण्डिया विरोधी | डर डर मोदी, थर थर मोदी ||१३||
संघ कार्य के राज्य प्रणेता | संत सदृश सज्जन जननेता ||१४||
दीन दशा जब भारत लख्या | सोमनाथ से चले अयोध्या ||१५||
जन्म लियो घर अति साधारण | उगा सूर्य जनु तम संहारण ||१६||
हीराबेन लला जनु मानिक | श्रद्धा भाव निखिल निगमादिक ||१७||
सादर है जन जन से नाता | मोदी भारत भाग्य विधाता ||१८||
कार्गिल जुद्ध कियो अरि भारी | प्रतिपक्षी दल बने मदारी ||१९||
भारत की प्रभुता संकट में | लख भारत माता सांसत में ||२०||
सेना के हित बने प्रवक्ता | गरज उठा शावक बन वक्ता ||२१||
पहना प्रलयंकर का चोगा | गोली का जवाब बम होगा ||२२||
आयो भुज भूकंप भयंकर | सवा साल में आठ लाख घर ||२३||
टाटा को गुजरात बुलायो | फ़ाइल में लाइफ ले आयो ||२४||
इधर धर्म अपनाने वाले | उधर देश को खाने वाले ||२५||
बहु विधि भारत के अपकारी | बहु प्रकार नर भ्रष्टाचारी ||२६||
सबके उर भय एक तुम्हारा | तुम नैया के खेवनहारा ||२७||
स्वयं साधना करके देखा | तुम भारत की जीवन रेखा ||२८||
बहुत दिनों से धरती बंजर | तुम छाये बन मेघ धुरंधर ||२९||
विश्वनाथ जी का अनुमोदन | राजनीति में हो संशोधन ||३०||
इसीलिये तुम काशी आये | धर्मप्राण हरिजन हर्षाये ||३१||
जय जय जय मोदी जन नायक | जड़ता हरो विकास प्रदायक ||३२||
कर्मकुशल संशाधन दोहक | रिपुजन दलन सर्वजन मोहक ||३३||
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा | तुमने एक रंग सब रंगा ||३४||
सबके दिल में कमल खिलाने | ऐक सूत्र जन सभी मिलाने ||३५||
पूरे सारे काज करेगा | यह दिल्ली में राज करेगा ||३६||
शुभ चुनाव का बिगुल बजा है | देवासुर संग्राम मचा है ||३७||
गूँज उठा है सारा अम्बर | यह अंतिम निर्णय का अवसर ||३८||
तैंतिस कोटि देव जागे हैं | देवसुतों से मत मांगे हैं ||३९||
जागो माता बहनों भाई | हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, इसाई ||४०||
सावधान मन कह रहा, पूरा भारत देश |
कमल बटन गंगा सदृश, कटे पाप अरु क्लेश ||  
                      

सोमवार, 10 मार्च 2014

निर्वाचन चालीसा



संविधान की ले शपथ, उसको तोडनहार |
             कछु पापी नेता भये, अनुदिन भ्रष्टाचार ||
जोड़ तोड़ के गणित में, लोकतंत्र भकुआय |
हर चुनाव समरूप है, गया देश कठुआय ||  
अथ श्री निर्वाचन चालीसा | जिसने भी जनता को पीसा ||१||
वह नेता है चतुर सुजाना | लोकतंत्र   में  जाना  माना ||२||
धन जन बल युत बाहुबली हो | हवा बहाए बिना चली हो ||३||
झूठी शपथ मातु पितु बेटा | सब को अकवारी भर भेटा ||४||
रसमय चिकनी चुपड़ी बातें | मुख में राम बगल में घातें ||५||
अपना ही घर आप उजाडू | झंडे पर लटकाये झाड़ू ||६||
करिया अक्षर भैंस समाना | लैपटाप का हो दीवाना ||७||
आनन ग्रन्थ पढ़े दिन राती | कुर्सी देख फड़कती छाती ||८||
संसद में करवा दे दंगा | पद मिलते ही होय निहंगा ||९||
अनुदिन मुसलमान रटता हो | राष्ट्रवाद पर वह कटता हो ||१०||
वन्देमातरम को हटवा दे | देशभक्ति के चिन्ह मिटा दे ||११||
खुद को धर्म तटस्थ बतावे | मुरदों पर चादर चढ़वावे ||१२||
क्षेत्रवाद का लिए सहारा | जातिवाद का देता  नारा ||१४||
सांसद और विधायक भाई | बेटा बेटी लोग लुगाई ||१३||
दे कम्बल फोटो खिचवावे | फिर फिर शिलान्यास करवावे ||१४||
खुद ही गोप और खुद गोपी | इसके सर पर उसकी टोपी ||१५||
उजला कुरता मधुरि बानी | दगाबाज की इहै निशानी ||१६||
भय अरु लाजमुक्त अभिमानी | बाहर से दिखता बलिदानी ||१७||
सब कुछ घोंटा सब कुछ टाला | आयेदिन करता घोटाला ||१८||
धरना और प्रदर्शन चारी | दिवस खाय निशि अनशनकारी ||१९||
कविवर कुरता फाड़ अमेठी | परदे के पीछे माँ बेटी ||२०||
तरुणी दीन चढ़ी इक हांथी | नोटों की माला दे साथी ||२१||
पासवान की लिए लंगोटी | राजनाथ बैठाते गोटी ||२२||
नीति अनीति भूल गठबंधन | टकले पर शोभित है चन्दन ||२३||
खींचतान चौचक भाजप्पा | कडुआ थू मीठा गुलगप्पा ||२४||
मोदी जब फोटू खिचवावे | अगल बगल सब खीस दिखावे ||२५||
नंदा पुष्कर सरग सिधारी | शशि थरूर की दूर बिमारी ||२६||
शीला महामहिम पद सोहै | दिल्ली में पगड़ी मन मोहै ||२७||
सयकिल वाहन चढ अखिलेशा | सात समन्दर पार नरेशा ||२८||
उहाँ अमरीका आजम पायो | कुम्भ प्रशासन पाठ पढ़ायो ||२९||
भैंस खोजता फिरे प्रशासन | धरने पर बैठा है शासन ||३०||
अन्ना जी की हरियर पगड़ी | ममता देख भुजाएं फड़की ||३१||
लोकपाल के हम दीवाने | केवल गाँधी जी को माने ||३२||
कहने को खांटी देशी हैं | पंच कोटि बंगलादेशी हैं ||३३||
चीन हमारे सर पर चढ़ता | पाक हमेशा आगे बढ़ता ||३४||
जिनमे दो कौड़ी का दम है | हम उनके सम्मुख बेदम हैं ||३५||
बेकारी का घाव बड़ा है | भत्ता ले चुपचाप पड़ा है||३६||
युवा नशे में चकनाचूरं | कह हनूज दिल्ली है दूरं ||३७||
नकसलवाद दे रहा धमकी | मनबढ़ इस्लामिक आतंकी ||३८||
नर को नारी से लड़वाते | जन को आजादी दिलवाते ||३९||
भैंसा आगे बजी बीन है | बिजली पानी सड़क हीन है ||४०||
सड़सठ सालों से सतत, लहू रहे हैं सोख |
                    भारत माता रो रही, लजा गयी है कोख ||

शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2014

दो घनाक्षरी

(१)
जितने नराधम हैं, आज सभी नेता बनें, इन्हें चुन चुन गोली मार देना चाहिए | 
फूंक देना चाहिए तंदूर की तरह इन्हें, कपड़े की भाँति इन्हें गार देना चाहिए | 
भारत की संस्कृति को नोचने के लिए बने, इनकी रगों में शीशा पार देना चाहिए | 
राष्ट्रद्रोहियों की सजा, मौत से अलग नहीं, मृत्युदेवि कहें दो तो चार देना चाहिए |
(२)
जितनी  लाचारी इस देश में कहीं नहीं है, जनसँख्या बोझ नहीं तुमने बनाया है |
कुछ  गया पेट में तो कुछ पीठ पे भी लदा, बाँटते ही आये हमें बंटना सिखाया है |
पहले  तो चरखा था जिसने था उलझाया, अब तेरा थप्पड़ हमारे हिस्स्से आया है |
झगडे  की जड़ एक नेहरु की नीति बनी, अपना तो खाया हमें नंगा ही नचाया है |



शनिवार, 22 फ़रवरी 2014

भ्रम टूटा है

सर्जनात्मकता में धैर्य होना चाहिए| फेसबुक अधीर बना देता है| वहाँ लोग आपको लपकने के लिए तैयार बैठे हैं| नारीवादियों को वहाँ पुरुष प्रधान समाज के दर्शन हो सकते हैं| अजनबी लोंगों के अजनबी हाय हैलो किसे बेचैन नहीं कर देते? अंगुलियां दिल की धडकनों से संचालित होने लगती हैं| ना धिन धिन्ना, ना धिन धिन्ना करते हुए टांय टांय फिस्स| एक अदृश्य जगत की दृश्यमान आँखे आपको घूरती रहती हैं| वे अपने भी हो सकते हैं और पराये भी| बंगलादेशी घुसपैठियों के शिविरों का अस्थायी जमावड़ा स्थायी नागरिकता की मांग करने लगता है| अब इसे भ्रम ही रहने देना होगा| यह मेरा अपना पन्ना है| इसमें आपको घुसपैठ की कोई इजाजत नहीं है| आप मुझे पसंद करो या नापसंद| आप मुझे यहाँ से कॉपी नहीं कर सकते, और यदि आपने ऐसा किया तो आपके विचारधारा की कलई उतरने लगेगी| मुझे जो भी मन में आएगा मैं यहाँ करने को स्वतंत्र हूँ|