शनिवार, 22 फ़रवरी 2014

भ्रम टूटा है

सर्जनात्मकता में धैर्य होना चाहिए| फेसबुक अधीर बना देता है| वहाँ लोग आपको लपकने के लिए तैयार बैठे हैं| नारीवादियों को वहाँ पुरुष प्रधान समाज के दर्शन हो सकते हैं| अजनबी लोंगों के अजनबी हाय हैलो किसे बेचैन नहीं कर देते? अंगुलियां दिल की धडकनों से संचालित होने लगती हैं| ना धिन धिन्ना, ना धिन धिन्ना करते हुए टांय टांय फिस्स| एक अदृश्य जगत की दृश्यमान आँखे आपको घूरती रहती हैं| वे अपने भी हो सकते हैं और पराये भी| बंगलादेशी घुसपैठियों के शिविरों का अस्थायी जमावड़ा स्थायी नागरिकता की मांग करने लगता है| अब इसे भ्रम ही रहने देना होगा| यह मेरा अपना पन्ना है| इसमें आपको घुसपैठ की कोई इजाजत नहीं है| आप मुझे पसंद करो या नापसंद| आप मुझे यहाँ से कॉपी नहीं कर सकते, और यदि आपने ऐसा किया तो आपके विचारधारा की कलई उतरने लगेगी| मुझे जो भी मन में आएगा मैं यहाँ करने को स्वतंत्र हूँ|

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